Jab Humare Imam Ahemad Raza Khan(Ala Hazrat R.A) Ne Ye Naat Likhi Baar Gaah E Janaab Dagh Dahelvi K Tab Jaldi Me Ala Hazrat R.A ne Aakri Makhte Me Pahechan Batana Bhul Gaye The Tab "Jaanb Dagh Dahelvi" ne "Ala Hazrat R.A) K Bhatijo Ko Kaha Tha KI imam Raza KO bolna K Me "Dagh Dahelvi" Unki Pahechan me Aakhri Makhta Likhte Huee Bol Raha Hu...
"Mulke Sukhan Ki Shahi Tum Ko Raza Musallam...
Jis Simt Aagaye ho sikhe Bithaa diye hai"
AGAR KUCH BOLNE ME YA BATANE ME MUJSE GALTI HUEE HO TO MAAF MR DENA.
उन की महक ने दिल के ग़ुंचे खिला दिये हैं / Un Ki Mahak Ne Dil Ke Gunche Khila Diye Hain
उन की महक ने दिल के ग़ुंचे खिला दिये हैं
जिस राह चल गए हैं कूचे बसा दिये हैं
जब आ गई हैं जोश-ए-रहमत पे उन की आँखें
जलते बुझा दिये हैं, रोते हँसा दिये हैं
इक दिल हमारा क्या है, आज़ार इस का कितना
तुम ने तो चलते फिरते मुर्दे जिला दिये हैं
उन के निसार कोई कैसे ही रंज में हो
जब याद आ गए हैं, सब ग़म भुला दिये हैं
हम से फ़क़ीर भी अब फेरी को उठते होंगे
अब तो ग़नी के दर पर बिस्तर जमा दिये हैं
असरा में गुज़रे जिस दम बेड़े पे क़ुदसियों के
होने लगी सलामी, परचम झुका दिये हैं
आने दो या डुबो दो अब तो तुम्हारी जानिब
कश्ती तुम्हीं पे छोड़ी लंगर उठा दिये हैं
दूल्हा से इतना कह दो, प्यारे ! सुवारी रोको
मुश्किल में हैं बराती, पुर-ख़ार बादिये हैं
अल्लाह क्या जहन्नम अब भी न सर्द होगा
रो रो के मुस्तफ़ा ने दरिया बहा दिये हैं
मेरे करीम से गर क़तरा किसी ने माँगा
दरिया बहा दिये हैं, दुर्र-बे-बहा दिये हैं
मुल्क-ए-सुख़न की शाही तुम को, रज़ा ! मुसल्लम
जिस सम्त आ गए हो सिक्के बिठा दिये हैं
शायर:
इमाम अहमद रज़ा ख़ान